उत्तराखंड

सात दिवसीय संगीतमयी श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन

कथा व्यास आचार्य अजयानन्द नौटियाल ने कहा भागवत कथा के श्रवण से होता है पापों का नाश

संसार शरीर से प्रेम ही अविद्या -आचार्य अजयानन्द नौटियाल

देहरादून। अयोध्या में रामलला विराज गये हैं। देशभर में भक्ति और श्रद्वा का वातावरण देखने को मिल रहा है। हर व्यक्ति राम रस में डूबा हुआ है। इस शुभअवसर पर देहरादून स्थित यमुना कालोनी के ऑफीसर्स क्लब में 18 जनवरी से 24 जनवरी तक श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है। बड़ी संख्या में श्रद्वालु शहर के कोने-कोने से भागवत कथा का रसपान करने पहुंच रहे हैं। भागवताचार्य अजयानन्द नौटियाल ने कहा कि जैसे मेरे राम आज अपने अयोध्या घर आये तो पूरे भारत के सनातनियों ने खुल दीपावली मनायी। इस भागवत कथा का आयोजन भी अयोध्या प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर किया गया है। भागवत कथा में भक्तो ने राम कृष्ण के भजनों में खूब झूमे। इसके साथ ही कृष्णा की झांखी भी दिखाई गई।

इस मौके पर भागवताचार्य अजयानन्द नौटियाल ने कहा कभी संसार रूपी शरीर से प्रेम मेरे गोविन्द नहीं करते है बल्कि जिसका मन निर्मल होता है, उसी से गोविन्द प्रेम करते है, और अविद्या रूपी शरीर त्याग देते हैं । जिसके बाद पराविद्या की प्राप्ति होती है और जीवन मंगलमय हो जाता है। भागवत कथा के षष्ठम दिवस पर अजयानन्द जी ने कहा कि संकल्प मात्र से गोविन्द भक्त को पा लेते हैं, गोपियों के साथ रास लीला की तो काम रूपी अभिमान को भगवान ने समाप्त किया और गोपियो का मनोरथ पूरा किया। उन्होंने कहा आज रुक्मणी ने अपनी बहन की बात शिशुपाल के साथ कर दी पर माँ रुकमणी कृष्ण को ही अपना सब कुछ मान लिया और भगवान कृष्ण ने आज रुक्मणी के साथ विवाह किया।

भागवताचार्य अजयानन्द नौटियाल ने कहा कि प्रत्येक दशा में भगवान की कृपा का दर्शन करना, प्रारब्ध को अच्छी तरह से भोगना क्योंकि प्रारंभ ही किए गए कर्मों का फल होता है, हम जैसा कर्म करते हैं वैसा ही फल मिलता है और जिस तरह का कर्म करेंगे उसी तरह से भविष्य में उसका फल प्राप्त होगा । उन्होंने कहा भगवान को प्रतिदिन प्रणाम करना जीवन को श्रेष्ठ बनाने के लिए हितकर है। भागवत शब्द इतना गूढ़ और रहस्यमयी शब्द है कि इसके उच्चारण मात्र से भक्ति, ज्ञान, वैराग्य और त्याग का स्मरण हो जाता है।

भागवताचार्य अजयानन्द नौटियाल ने श्रद्धालुओं को प्रवचन करते हुए कहा कि श्रीमद् भागवत कथा के वाचन व श्रवण से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ती हो जाती है। संसार दुरूखों का सागर है। प्रत्येक प्राणी किसी न किसी तरह से दुखी व परेशान है। कोई स्वास्थ्य से दुखी है, कोई परिवार, कोई धन, तो कोई संतान को लेकर परेशान है। सभी परेशानियों से मुक्ति पाने के लिए ईश्वर की आराधना ही एकमात्र मार्ग है। इसलिए व्यक्ति को अपने जीवन का कुछ समय हरिभजन में लगाना चाहिए। उन्होंने कहा कि भागवत कथा वह अमृत है, जिसके पान से भय, भूख, रोग व संताप सब कुछ स्वतरू ही नष्ट हो जाता है। उन्होंने कहा कि व्यक्ति को मन, बुद्धि, चित एकाग्र कर अपने आप को ईश्वर के चरणों में समर्पित करते हुए भागवत कथा को ध्यानपूर्वक सुनना चाहिए।

भागवताचार्य अजयानन्द नौटियाल ने कहा श्रीमद भागवत कथा का श्रवण करने से जन्म जन्मांतर के पापों का नाश हो जाता है। कथा के बाद प्रसाद के वितरण किया गया। प्रसाद ग्रहण करने के बाद श्रद्धालुओं ने आशीर्वाद प्राप्त किया। इस अवसर पर पिटकुल के प्रबंध निदेशक पीसी ध्यानी, क्षेत्रीय पार्षद सुमित्रा ध्यानी, आशाराम नौटियाल जी, उर्मिला, आशा, अंजू, प्रमोद अवस्थी, राहुल राणा आदि भक्त मौजूद रहे।

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