स्वास्थ्य

उठते-बैठते पी रहे प्लास्टिक की बोतल में पानी, जान लें कितनी खतरनाक हो सकती है आपकी ये आदत

घर से लेकर ऑफिस और सफर तक आज बोतलबंद पानी हमारी लाइफ का अहम हिस्सा हो गया है। हम बेफिक्र होकर इसका इस्तेमाल कर रहे हैं. अगर आप भी ऐसा कर रहे हैं तो इसका मतलब अपनी बॉडी में जहर भर रहे हैं।

प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज नाम की संस्थान ने एक स्टडी में डराने वाला खुलासा किया है. जिसमें बताया गया है कि एक लीटर बोतलबंद पानी में करीब 2.40 लाख प्लास्टिक के महीन टुकड़े मौजूद होते हैं.जिसकी वजह से सेहत को गंभीर और जानलेवा खतरे हो सकते हैं।

क्या है रिसर्च
हालिया रिसर्च में शोधकर्ताओं को प्लास्टिक की बोतल में मौजूद एक लीटर पाी में ही 100,000 से ज्यादा नैनोप्लास्टिक मिले हैं. ये इतने छोटे कण होते हैं, जो ब्लड सर्कुलेशन, कोशिकाओं और दिमाग तक में पहुंच सकते हैं और कई खतरे बढ़ा सकते हैं. ऐसे में सावधान रहने की जरूरत है।

प्लास्टिक की बोतल में पानी क्यों खतरनाक
एक्सपर्ट्स के अनुसार, प्लास्टिक की बोतल के पानी में बिस्फेनॉल-ए और फेथलेट्स जैसे केमिकल्स घुल जाते हैं। जब बोतल का पानी धूप या गर्मी के संपर्क में आता है तो ये केमिकल्स पानी में घुल जाते हैं और शरीर के अंदर पहुंचकर नुकसान पहुंचाते हैं. इसके अलावा प्लास्टिक कार्बन, हाइड्रोजन, ऑक्सीजन और क्लोराइड से बनता है, जिसे बीपीए प्लास्टिक की पानी की बोतल बनाने में इस्तेमाल किया जाता है।

प्लास्टिक की बोतल में पानी पीने से क्या खतरें

1. डायबिटीज और दिल को खतरा
हार्वर्ड स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ की रिसर्च के अनुसार, पॉली कार्बोनेट की बोतलों के पानी में बिस्फेनॉल ए केमिकल होता है, जो जब शरीर में जाता है तो दिल की बीमारियों और डायबिटीज का खतरा कई गुना तक बढ़ा सकता है।

2. प्रजनन क्षमता प्रभावित
प्लास्टिक की बोतल में पानी पीने से उसमें मौजूद बीपीए और फैथलेट्स केमिकल प्रजनन क्षमता तक को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है। इस पानी को पीने से हार्मोनल संतुलन भी बिगड़ सकता है. इसकी वजह से बांझपन जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं।

3. कैंसर का खतरा
एक्सपर्ट्स के अनुसार, प्लास्टिक की बोतल में पानी पीने से कई तरह के कैंसर का खतरा बढ़ सकता है. इससे ब्रेस्ट और ब्रेन कैंसर हो सकता है। प्लास्टिक की पॉलिथीन में रखी गर्म चीज खाने या पीने से कैंसर का जोखिम बहुत ज्यादा बढ़ सकता है। इस पानी को पीने से ल्यूकेमिया और लिंफोमा जैसी बीमारियों का भी खतरा रहता है।

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