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नई दिल्ली. पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम (P Chidambaram) ने छत्तीसगढ़ और पंजाब के सियासी संकट की तुलना कर्नाटक (Karnataka) में हुए सत्ता परिवर्तन से की है. गुरुवार को उन्होंने देश की आर्थिक स्थिति को लेकर केंद्र सरकार पर भी सवाल उठाए. साथ ही उन्होंने सरकार के नेशनल मॉनेटाइजेशन पाइपलाइन को भी बेवकूफी भरा फैसला बताया है. छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल राजधानी दिल्ली में कांग्रेस आलाकमान से मुलाकात करने पहुंचे हैं.
पत्रकारों से बातचीत के दौरान उन्होंने यह साफ किया है कि कांग्रेस के शासन वाले दोनों राज्यों में कोई ‘विद्रोह’ नहीं है. चिदंबरम ने कहा, ‘छत्तीसगढ़ और पंजाब में कोई विद्रोह नहीं है. क्या आप कर्नाटक में हुए बदलाव को विद्रोह के रूप में बताएंगे?’ कर्नाटक में बीएस येडियुरप्पा की जगह राज्य में गृह मंत्रालय संभाल रहे बासवराज बोम्मई को मुख्यमंत्री बनाया गया था.
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महामारी से पहले वाली आर्थिक स्थिति नहीं बनेगी!
पूर्व वित्त मंत्री ने कहा है कि इस साल जीडीपी की स्थिति महामारी के पहले की तरह नहीं होगी. उन्होंने कहा, ‘इस साल जीडीपी 2019-20 के महामारी के पहले वाले स्तर पर नहीं जाएगी. 2020-21 एक गिरावट थी. 2021-22 जीडीपी में जाहिर तौर पर बढ़ता दिखाएगा, लेकिन यह महामारी से पहले वाली स्थिति में नहीं जाएगी.’ उन्होंने कहा कि जब यह महमारी से पहले वाले स्तर पर जाएगी, क्या आप इसे रिकवरी कह सकते हैं.
उन्होंने कहा, ‘2022-23 में हुई रिकवरी शायद हमें महामारी पूर्व स्थित पर ले जाएगी, बशर्ते सरकार कोई भी मूर्खतापूर्ण फैसला न ले. केंद्र की नेशनल मॉनेटाइजेशन पाइपलाइन एक मूर्खतापूर्ण फैसला है.’ वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बीते सोमवार को ही सरकार के 6 लाख करोड़ रुपये के MNP प्रोजेक्ट को पेश किया था. इसके तहत सरकार ने हवाईअड्डों, रेलमार्गों समेत 13 सेक्टर्स की पहचान की थी, जिनका निजीकरण किया जाएगा.
छत्तीसगढ़ में क्या चल रहा है
छत्तीसगढ़ में सत्ता में नेतृत्व परिवर्तन की मांग जोर पकड़ रही है. सीएम बघेल इस हफ्ते में दूसरी बार कांग्रेस नेता राहुल गांधी से मुलाकात करेंगे. इससे पहले मंगलवार को भी एक बैठक हुई थी, जिसमें राज्य के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव, राहुल गांधी, पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी, प्रदेश प्रभारी पीएल पूनिया मौजूद थे. बघेल समर्थक कई विधायक पहले ही दिल्ली पहुंच गए हैं. कयास लगाए जा रहे हैं राज्य में ढाई-ढाई साल के सीएम वाले फॉर्मूले पर एक-दो दिनों में फैसला आ सकता है.
दिसंबर 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने बहुमत के साथ जीत हासिल की थी. इसके बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बघेल को सीएम बनाया गया था. चुनाव में देव घोषणापत्र समिति के प्रमुख थे. दोनों के समर्थकों ने दावा किया था पार्टी ने उनके नेता के चलते जीत दर्ज की थी. जून में बघेल सरकार का ढाई साल पूरा होने के बाद देव के समर्थकों ने ढाई साल में सीएम बदलाव का मुद्दा उठा दिया था. समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, कांग्रेस ने कभी भी छत्तीसगढ़ में ढाई साल के फॉर्मूला पर बात नहीं की थी, लेकिन देव के समर्थकों ने दावा किया है कि इसका वादा किया गया था.
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